Thursday, April 29, 2010

पलको तले आसु फ़िर झिल्मिला गये

!पलको तले आसु फ़िर झिल्मिला गये,




य़ाद फ़िर उन्हि की आइ जो हमे भुला गये!!


दिल के कोने मे एक टिस फ़िर उभर आइ,


मेरे सान्त मन के समुन्दर मे,


गुजरे दास्ता कि एक लहर आइ!!


पलको से लुदक के आसु मेरे होठो को भिगा दिये!


य़ाद फ़िर उन्हि की आइ जो हमे भुला गये!!


पड्ने लगा मन उन हसिन पन्नो को,


जो मेरे दिल ने आज भी सजो रखा है,


एसा लगता है उन्कि खुस्बु इन हवाओ मे समाइ हो,


सायद उनको भी आज मेरी याद आइ हो,


ये सोचके होठ फ़िर मुस्करा दिये,


य़ाद फ़िर उन्हि की आइ जो हमे भुला गये!!

एक पल...........

एक पल हि सही, जिले तु जिन्दगी,



बाकि पल का है क्या, तेरा हुआ ना हुआ!!


कितने गम है यहा, प्यार कम है यहा!


जो आज सग है तेरे, कल हो जाने कहा!!

एक पल हि सही, जिले तु जिन्दगी.....


खो जाते है कुच्ह यहा , किसी के प्यार मे!


खो जाती है कुच्ह जिन्दगी बस इन्तजार मे!!


भर ले आगोश मे तु उस पल को,


आया है जो यहा तेरे सन्ग चलने को!


हर कदम पे नया, एक मोड आता है,


पल मे जहा ये बदल जाता है


चल तु जरा सम्भल के निकल,


आता नही लौट के ये बिता पल!


एक पल हि सहि, जिले तु जिन्दगी,


बाकि पल का है क्या, तेरा हुआ ना हुआ!!

Friday, April 9, 2010

.अपनापन

.........अपनापन............

उनके दर्द को मै तब जान ना पाया,
चाहत थी उनके दिल मे जिनके लिये ,
उन्ही आंखो ने उन्हे पहचान न पाया ।
सोचता था मै जिसे उनका गुरुर ,
अब मालुम हुआ कि, वो कितने थे मजबूर ।
उनके दिल मे थे जो गम,
उनका हमे एहसास नही था,
उनकी खामोस दुआओ का,
तब मन को आभास नही था ।
एक संघर्स थी उनके जिन्दगी की डगर,
चले जिसपे हरपल होकर वो निडर,
कितने उपवन को सिचा उनकी बाजुओ ने,
फिर भी बिरान था उनका अपना शहर ।